दिवाली आ रही है, घर से दूर रहने वालों को रायबरेली याद आ रही है

दोस्तों, रायबरेली और साहित्य का बहुत पुराना नाता है। इसने जायसी की बेख़ौफ़ क़लम की लिखावट देखी है और शांत मन से निराला की कविताओं को भी सुना है। 


यहाँ बैसवारा की ख़ुशबू है और मुनव्वर की नज़्मों की चहक भी।


रायबरेली के साहित्य को ज़मीन से आसमान तक पहुँचाने वालों को रायबरेली के रंग का सलाम।

हमारी नई कोशिश - Raebarelikiकलम🖌 

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